मेरा स्कूल safe भी साफ़ भी - 4
मेरा गाँव मेरी दुनिया, यूथ की आवाज़ के साथ मिलकर पिछले एक महीने से महिदपुर तहसील में गाँव की स्कूल छोड़ रही लड़कियों और छोड़ चुकी लड़कियों को फिर स्कूल लाने के लिए एक मुहीम मेरा स्कूल safe भी साफ़ भी पर काम कर रही है.
सर्वे में हमने पाया कि एक बड़ी वजह जिसके कारण लडकियाँ स्कूल छोड़ती है वह है पीरियड्स पर स्कूल द्वारा जानकारी/मदद का अभाव और सुविधाओं का न होना. अधिकतर स्कूल में लड़कियों से कोई पीरियड्स पर बातचीत नहीं करता है यहाँ तक की महिला शिक्षक भी नहीं. लड़कियों को जानकारी नहीं होती क्योंकि यह मुद्दा वैसे कानों और मूँह पर हाथ रखकर discuss किया जाता रहा है. जागरूकता और जानकारी के अभाव में लड़कियां समस्या का शिकार बनती हैं और यह उनके पढ़ने की राह में रोड़ा बनता है. जिस स्कूल में महिला शिक्षक नहीं है वहाँ तो हालात इतने गंभीर हैं कि लड़कियों की समस्या को समझना पुरुष के लिए असंभव हो जाता है. हमसे साझा किया गया कि जब लड़कियों को अचानक स्कूल के दौरान पीरियड्स आ जाते हैं और स्कूल में सुविधा न होने के कारण उन्हें घर जाने की ज़रूरत होती है तो शिक्षक उन्हें छुट्टी नहीं देते हैं. वजह है लड़कियों की हिचकिचाहट जो उन्हें मर्दों से इस बारे में बात करने पर होती है; न शिक्षक समझ पाता है न लड़की बता पाती है. और अगर वह कोई और कारण बताये तो शिक्षक उसे बहाना समझकर नकार देता है. तो गाँव में पढ़ने वाली लगभग 90% लडकियाँ अगर ऐसे स्कूल में है जहाँ सुविधायें नहीं हैं तो वे पीरियड्स के दौरान और आम दिनों में भी स्कूल जाती ही नहीं हैं. और जब यह सिलसिला लम्बा चलता है तो वे तंग आकर या परिवार के कारण स्कूल ही छोड़ देती हैं.
हम RTE के प्रावधानों को लागू करवाने के लिए काम कर रहे हैं ताकि बच्चों के लिए स्कूल में स्वच्छ और सर्व-सुविधायुक्त टॉयलेट्स हों, बाउंड्री-वाल हो और पानी की सुगम-सुविधा हो ताकि आज इन सबके अभाव के कारण स्कूल छोड़ रही लड़कियां स्कूल लौटे और अपने पढ़ने का सफ़र जारी रख सके.
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