सफ़र से सीख और समूह का साथ - टुगेदरनेस टेबल
“मुझे किसी के साथ इतना खुलापन कभी महसूस नही होता था पर इस सेशन से मैं खुद के अंदर छुपी भावनाओं को उजागर कर पाई और अपने साथ के लोगों से गहराई से जुड़ पाई हूँ। मुझमें जो झिझक थी वो भी अब खत्म सी हो गई है. अब मैं सबके साथ मेरी भावनाओं को साझा कर सकती हूँ।” गाँव के परिवेश में रहकर पहली दफ़ा अंतर जातीय और अंतर-लैंगिक माहौल का हिस्सा बनी रवीना कहती हैं!
विभिन्न आयु, वर्ग, और विचारों को रखने और उनके अनुसार जीने वाले व्यक्तियों के साथ उनकी अपनी भावनाओं को समझने और दूसरों के साथ छोटी छोटी गतिविधियों में रमकर साथियों के विचारों और भावनाओं से जुड़कर लोगों ने ख़ुद के एहसासों, गलतियों, नकारात्मक भाव को स्वीकारने का अनूठा साहस इस सफर में दिखाया है उसे किंचित सरसरी तौर पर जादू कह दें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. हर सत्र के दौरान खेल के रूप में अलग-अलग टास्क को इन सभी लोगों के साथ ‘मिलकर’ पूर्ण करने की जो प्रकिया है उसी में सीखने और साथ चलने का महत्तम छुपा हुआ है. अपनी भावनाओं को पहचान कर, उनकी खोजबीन करना और काम और अनुभव की यादों के स्तर पर उन्हें विभिन्न कोणों से देखते हुए स्वीकार करने के प्रक्रिया इन टास्क के केंद्र में रही जिन सत्र में प्रेम, आज़ादी और स्वामित्व जैसी भावनाओं पर केन्द्रित काम किया गया.
कम्युटीनि द यूथ कलेक्टिव और मेरा गाँव मेरी दुनिया के मिले जुले प्रयासों से उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील के 2 गाँव आजमाबाद और कोयल में संचालित हो रहा टुगेदरनेस टेबल यहाँ के लोगों के लिए अपने आप में एक नया और गहन प्रभाव रखने वाला सफ़र है. इससे जुड़ने वाले विभिन्न उम्र, समूह और वर्ग के लोगों ने एक साथ काम करना, एक बड़े समूह में अपनी बात रखना , समस्याओं का समाधान मिलकर खोजना,आपसी समझ, अंतर्मन मे उठते सवालो को साझा करना, मदद करना व भेद-भाव के लिए माफ़ी माँगना जैसे कामों में हिस्सा लिया और इन तमाम गतिविधियों के माध्यम से स्वयं को समझने में समय व्यतीत किया। यह प्रतिभागी स्वतंत्रता, प्रेम, स्वामित्व, सीखना और सामाजिक आशा जैसे मूल्यों पर चर्चा और इन मूल्यों से जुडी गतिविधियों के सहारे ख़ुद को एक कदम क़रीब से देख और समझने की प्रक्रिया में आगे बढ़ पाए.
मेरा गाँव मेरी दुनिया टीम से संचालक के तौर पर जुड़े लोगों ने भी इस प्रक्रिया का हिस्सा बनकर ख़ुद में बदलाव की रौशनी की झलक देखी है. आइये गाँव कोयल की संचालक मैरी से सुनें कि उन्होंने क्या महसूस किया इस यात्रा के दौरान “मैंने इन सत्रों के दौरान यह महसूस किया है कि लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के बाद कितना अधिक हल्का और जुड़ा हुआ महसूस करते हैं. लोगों ने भेदभाव से जुड़ी गतिविधि के दौरान जिस ईमानदारी से अपने द्वारा किये गये भेदभाव को शेयर किया उसने मुझे अपनी जिंदगी की घटनाओं से जोड़ा और यह महसूस कराया कि माफ़ी माँगना कितना महत्त्वपूर्ण है जीवन के इस सफ़र में.”
इस तरह की यात्राओं और गतिविधियों का होना अपने आप में एक कदम उस दुनिया की ओर बढ़ाता है जहाँ सामंजस्य और समभाव के माहौल में लोग भावनाओं और ज़रुरतों की खुली अभिव्यक्ति के ज़रिये प्रेमपूर्वक अपने जीवन की जिम्मेदारियों को समाज के प्रति, एक दूसरे के प्रति और इस धरती के प्रति ईमानदारी और एक दूसरे के परस्पर सहयोग से निभा सकें.
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