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Showing posts from November, 2021

स्पर्श - बदलाव के बीज बोते युवा साथी

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तृप्ति हमारी स्पर्श एजुकेशन लीडर है. तृप्ति काजीखेड़ी, महिदपुर में तीसरी से पांचवी कक्षा के बच्चों के साथ स्कूल में कक्षाएँ लेती हैं. और, उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों जैसे खेल, कहानी, ड्राइंग से भी जोड़े रखती है. कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जो पहले स्कूल ही नहीं आते थे जब अपनी कक्षा के बाकी बच्चों को उन्होंने समय से पहले स्कूल जाते देखा तो उनके ज़रिए वे भी तृप्ति की क्लास में आने लगे. अब वह स्कूल भी आने लगे हैं. तृप्ति मेरा गाँव मेरी दुनिया से जुड़ने से पहले भी कुछ स्कूल में बच्चों को पढ़ाती थी. बच्चों के साथ उनकी सीखने की यात्रा में जुड़ने का उनका सपना उन्हें हमसे जोड़ता है. तृप्ति चाहती हैं कि वे शिक्षा में सुधार और शिक्षा से जुड़े क्षेत्रों में कुछ गहरा और अर्थपूर्ण कार्य करना चाहती हैं. पिछले सप्ताह तृप्ति का जन्मदिन था. बच्चों ने उनके जन्मदिन को एक उत्मसव की तरह मनाकर इस अवसर को तृप्ति के लिए बहुत यादगार और आनंदमयी बना दिया.  मेरा गाँव मेरी दुनिया परिवार की शुभकामनाएं हैं कि तृप्ति इसी तरह बच्चों के साथ जुड़ी रहे, अपने आप के साथ जुड़ी रहे, और आगे बढ़ती रहें!

मेरा स्कूल safe भी साफ़ भी - 4

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  मेरा गाँव मेरी दुनिया, यूथ की आवाज़ के साथ मिलकर पिछले एक महीने से महिदपुर तहसील में गाँव की स्कूल छोड़ रही लड़कियों और छोड़ चुकी लड़कियों को फिर स्कूल लाने के लिए एक मुहीम मेरा स्कूल safe भी साफ़ भी पर काम कर रही है. हमने 7 गाँव में सर्वे के दौरान पाया कि मात्र 2 स्कूल RTE के प्रावधानों पर खरे उतरे थे. और कई स्कूल में टॉयलेट्स की हालत गंभीर थी जो इस्तेमाल भी नहीं किये जा सकते हैं; ख़ासकर लड़कियों के लिए बने टॉयलेट्स. थोड़ा और गहरे स्तर पर बच्चों से बात करके हमने जाना कि कई स्कूल में टॉयलेट्स में दरवाजे नहीं हैं, लड़कों के लिए बने टॉयलेट्स पर ताला होता है तो वे खुले में ही प्रसाधन के लिए जाते हैं और लड़कियों के लिए इस्तेमाल होने वाले टॉयलेट्स में पानी की सीधी सुविधा नहीं है. या तो उन्हें हैंडपंप से पानी भरकर लाना होता है या पास बने किसी के घर या खेत से. व्यवस्था और प्रशासन की अनदेखी से स्कूल में पर्याप्त सुविधायें नहीं हैं जिसकी वजह से लड़कियों और लड़कों को मुश्किलें आती हैं. सर्वे में हमने पाया कि एक बड़ी वजह जिसके कारण लडकियाँ स्कूल छोड़ती है वह है पीरियड्स पर स्कूल द्वारा जानकारी/मदद का अभाव और