मेरा स्कूल Safe भी साफ़ भी - 3
Through our campaign #MeraSchoolSafeBhiSaafBhi, we (Mera Gaon Meri Dunia) are working with Youth Ki Awaaz to get back the girls who have dropped out from school and support those who are planning to drop out. One of our friends Nidhika, who is able to establish herself as an independent individual through her education, has something to share with everyone and those girls who are thinking of dropping out!
शुरूआती स्कूल के वर्षों में यानिकी 7-8 वीं तक सब कुछ सामान्य सा रहा क्योंकि स्कूल गाँव में ही था और दूर भी नहीं था. लेकिन जब 8वीं से आगे पढ़ने की बात आई तो यह सवाल पूरे परिवार के मन में था कि इतना दूर भेजना क्यों है और क्या ही ज़रूरत है इसे आगे पढ़ने की, लड़की ही तो है क्या करेगी पढ़कर! माता-पिता का सहयोग मिला और मैं आगे पढ़ पाई, फिर भी नया माहौल और नए लोगों के बीच एक दम से जाना थोड़ा मुश्किल था. 11वीं में सब्जेक्ट चुनने की चिंताएं इस हद तक बढ़ गई थी कि मैं स्कूल छोड़ देने का ख़याल करने लगी थी. उस वक़्त पापा और मेरी मौसी के सहयोग और सलाह से मैं ख़ुद पर यकीन कर पाई और अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई करने में कामयाब हो गई. कॉलेज में पढ़ने का सवाल एक बार फिर घर वालों के मन में शंकाएं लेकर आया कि क्या, कैसे, कहाँ पढ़ेगी और क्यों ही पढ़ना है! किसी तरह से थोड़ा रूठकर, थोड़ा मनाकर मैं कॉलेज पहुँची और अपनी पढ़ाई पूरी की. वर्तमान में मैं एक सामाजिक संस्था के ज़रिये पास ही गाँव में बच्चों को पढ़ाती हूँ और उनके साथ रहकर ख़ुद भी रोज़ाना कुछ न कुछ सीखती हूँ.
जो लडकियाँ स्कूल छोड़ चुकी हैं या वैसा करने का मन बना रही हैं; किसी भी कारण या मजबूरी से उनके लिए मेरा सन्देश है कि प्लीज हार मत मानिए, एक चुनौती या घटना आपकी कहानी को ऐसे मोड़ पर खत्म नहीं कर सकती; अभी बहुत कुछ बाकी है!
Thank You, Nidhika for joining us and sharing your journey!
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