मेरा स्कूल Safe भी साफ़ भी - 1

Through our campaign Mera School Safe Bhi Saaf Bhi, we (Mera Gaon Meri Dunia) in collaboration with Youth Ki Awaaz are working to get the girls back into the schools who have dropped out from school and support those who are thinking to drop out. One of our friends Saroj, who have been an independent one through her education has something to share with everyone and especially to those who are thinking of dropping out!


"मेरे जैसी ज्यादातर लड़कियाँ अपने आसपास या गाँव में अच्छा स्कूली माहौल न होने के कारण पढ़ाई बीच में ही छोड़ दिया करती हैं क्योंकि उनके पास बाहर जाकर पढ़ने का अवसर नहीं होता। उन्हें समझाया जाता है कि बाहर रहकर पढ़ाई करना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। आमतौर पर लड़की हिम्मत ही नहीं जुटा पाती कि आगे कुछ कर सके या हिम्मत कर भी ले तो उसे बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। घर से क्लासरूम तक वैसा माहौल मिलता नहीं जिसमें वह सहज महसूस करे। एक लड़की को पढ़ाई से ज्यादा फिक्र अपने चरित्र को बचाने की होती है और ऐसे में कोई लड़की अपने व्यक्तित्व का विकास कैसे कर पाएगी?

 

"इन अवरोधों का सामना मुझे भी करना पड़ा पर हमारी खुशनसीबी है कि मुझे मेरे परिवार का पूरा सपोर्ट था और बाकी लोगों का भी लेकिन हर एक लड़की को परिवार से भी उतना ही सपोर्ट मिले यह बहुत कम मामलों में होता है। अगर परिवार वाले उसे पढ़ने के लिए बाहर भेज भी दें तो समाज के कुछ लोग और कई बार तथाकथित पढ़े-लिखे भी उन्हें बहकाने की कोशिश करते हैं.


"लोगों को लगता है कि लड़कियों की शादी कर देना उन्हें हर मुश्किल से बचा लेने का सबसे आसान तरीका है और बार-बार परिवार वालों पर, लड़की पर यह दबाव डाला जाता है की उसे शादी कर लेनी चाहिए ताकि उसके चरित्र पर किसी तरह का कोई सवाल न उठे.. पढ़ी लिखी , आत्म निर्भर एवं खुलकर तर्क वितर्क करने वाली लड़कियां इस रूढ़िवादी समाज को पसंद नहीं है. मैं मानती हूँ कि लड़कियों को गोल रोटी बनाना सिखाने के बजाय यह सिखाने की ज़रूरत है कि वे अपना Goal कैसे Achieve करें."


Thank You, Saroj for coming up and sharing your journey!

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