किताबें और कल: प्रशांत की पुस्तकालय यात्रा


"आज की दुनिया के सुरक्षित भविष्य के लिए हर शख्स के हाथ एक अच्छी किताब होना बहुत आवश्यक है!"

एक तरफ जब दुनिया तकनीक के सहारे अनगिनत उपक्रम बना रही है, कुछ लोग किताबों और पुस्तकालयों की परम्परा में नये कल की उम्मीद तलाश रहे हैं. गाँव के परिवेश में बच्चों और युवाओं के लिए ऐसा माहौल जहाँ वे स्वाध्ययन और विचार-विमर्श कर सकें. प्रशांत, नवादा जिले के रजौली में एक सार्वजनिक पुस्तकालय - "अब्दुल कलाम लाइब्रेरी" के सञ्चालन का कार्य कर रहे हैं। उनका विचार है कि ऐसे माहौल में कोई भी शख्स कभी भी आकर‌ पठन-पाठन कर सकता है। वे इसे एक सामुदायिक तौर पर संभाला जाने वाला और संचालित किया जाने वाला पुस्तकालय होते हुए देखना चाहते हैं जिसमें सत्ता का केन्द्रीकरण न हो. वे इस पुस्तकालय में बच्चों के लिए पुस्तकें, युवाओं के लिए अलग अलग Study materials, आदि सामग्री का भण्डारण चाहते हैं और पूरानी हो चुकी किताबों को भी कैसे उपयोग में लाया जा सके इस पर भी काम कर रहे हैं.

प्रशांत, मेरा गाँव मेरी दुनिया के आईना देखो 2.0 प्रोग्राम का हिस्सा रह चुके हैं और समाज में युवाओं के योगदान को कैसे बढ़ा सकें इस सवाल पर काम करने का इरादा रखते हैं.

आप उन्हें इस पते पर किताबें भेज सकते हैं-
"प्रशांत, LNV MOTORS, रजौली हीरो शोरुम,ब्लॉक रोड रजौली
या संतोष आचार्य जी, सरस्वती शिशु मंदिर,रजौली"

आप किताबों के अलावा भी अपनी मदद उन तक पहुँचा सकते हैं-
Phone Pe, Paytm, Google Pay - 7292045715

आप प्रशांत से सीधे यहाँ जुड़ सकते हैं-
WhatsApp:- 8851611437

शुभकामनाएँ प्रशांत 

Comments

Popular posts from this blog

What it means to connect with the 'self'!

My Experiment With Gratitude

The Age Old Struggle with English