Reflection of Jyoti_Aaina Dekho 2.0
आईना देखो प्रोग्राम में आकर मैं खुद को एक अलग चश्मे से देखने लगी हूँ। इस प्रोग्राम ने मुझे जीने का तरीका या कला नहीं, बल्कि जीना सिखाया है। "तुम क्या हो?" ये प्रश्न पहले मुझमें गुस्सा पैदा करने की वजह बनता था, वही प्रश्न आज मुझमें सकारात्मक ऊर्जा भर रहा है। आईना दिखाना मुहावरे का मतलब भी मैं नकारात्मक तौर पर ही समझती थी। इस प्रोग्राम में मुझे आईना दिखाया गया लेकिन मुझमें किसी भी तरह की ग्लानि या नकारात्मकता नहीं भरी गयी, बल्कि मुझे मेरी भावनाओं और क्रियाओं के लिए जागरूक किया गया है। इस प्रोग्राम ने खुद की आवाज सुनाई है, साथ ही मुझमें आत्मविश्वास के साथ, लोगों के अंदर के प्रेम से भी मिलवाया। मैं लोगो पर भरोसा करना चाहती थी लेकिन कर नहीं पा रही थी एक अविश्वास की धुंध में घुम रही थी और जिन लोगों से जुड़ती उनके साथ रहकर उन्हें जीने से पहले मुझे उन रिश्तों को खोने का डर सताने लगता था, डर में जीते-जीते मैं खुद के एहसासों से ज्यादा दुसरों की परवाह करने लगी थी. इससे मैं खुद को न सिर्फ परेशान रखती बल्कि जिंदगी को जंग समझने लगी थी। मुझे लगता था कि मुझे कोई सुनना नहीं चाह...