किताबों का फ़ितूर
"बहुत समय के बाद मुझे हिंदी की किताबों में पुराने वाले मज़े आ रहे हैं," हर्ष (बदला हुआ नाम) कक्षा 5 का विद्यार्थी है जो शुरूआती दिनों से स्पर्श शिक्षा केंद्र में आ रहा है. शुरुआती दिनों में उसके कक्षा में हो रहे कामों के अरुचि थी जोकि लगभग हर उस बच्चे के लिए प्राकृतिक थी जो गत 2 साल से स्कूल और पढ़ाई से एकदम कट चुका था. जब बैजनाथ शिक्षा केंद्र में स्पर्श लीडर चंचल ने प्रथम बुक्स की किताबों की एक लाइब्रेरी बनाई और हर सप्ताह 4 दिन पढ़ने के लिए निश्चित हुए तो हर्ष भी उन बच्चों में शामिल था जो गाहे-बगाहे थोड़ा बहुत पढ़ लेते थे. धीरे धीरे हर्ष अपने मन से पढ़ने के लिए अधिक समय देने लगा और हर रोज़ हिंदी की एक किताब उसके संग उसके घर तक का सफ़र करने लगी. इस महीने के दुसरे सप्ताह तक हर्ष ने शिक्षा केंद्र की लाइब्रेरी में रखी हिंदी की तमाम किताबें पढ़ डाली हैं और अब चंचल के सामने एक लक्ष्य है कि वह हर्ष के लिए आगे का रास्ता तय करने में उसका साथ निभाये. हमें ऐसी लाइब्रेरी के लिए और हर्ष जैसे सैंकड़ों बच्चों के लिए किताबें चाहिए! हमें सहयोग करें: https://bit.ly/3pbDZRn